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हनुमान जी की शादी हुई नहीं? तो केसे हुआ हनुमान जी और उनके पुत्र मकरध्वज के बीच भीषण युद्ध                         

                        || जय श्री राम ||

हिंदू धर्म ग्रंथों में कई देवताओं के पुत्र और पुत्रियों का वर्णन मिलता है। परंतु आपने कभी हनुमान जी के पुत्र के बारे में सुना है। (Makardhwaj Ki Katha) आप लोग सोच रहे होंगे कि हनुमान जी तो बाल ब्रह्मचारी है। वे तो हमेशा से ही दिन-रात प्रभु || श्री राम जी || का नाम जप करते है। भला उनका पुत्र कैसे हो सकता है। परंतु आज जो हम आपको जो विश्लेषण के अनुसार बताने जा रहे हैं। (Makardhwaj Ki Katha) जिसे सुनने के पश्चात आप भी चौक जाएंगे, वाल्मीकि रामायण के अनुसार, हनुमान जी के पुत्र (Hanuman Ji Ke Putra Ka Naam) का संबंध लंका दहन से जुड़ा है।

वास्तव में क्या हनुमान जी का (Hanuman Ji Ke Putra Ka Naam) मकरध्वज था? या नहीं। यह सब जानने से पहले हम आपको बताते हैं की हनुमान जी और मकरध्वज का मिलन कब और कैसे हुआ। (Makardhwaj Ki Katha) वाल्मीकि रामायण में वर्णन मिलता है। की जब रावण ने माता सीता को प्रभु श्रीराम के पास ना लौटाने के कारण श्री राम और रावण के बीच घमासान युद्ध हुआ।

|| श्री राम || और रावण के बीच युद्ध के कुछ समय पश्चात रावण के आज्ञानुसार अहिरावण ने श्री राम और लक्ष्मण को लेकर पाताल लोक प्रस्थान कर गए। जहां पर अहिरावण देवी के समक्ष || श्री राम और लक्ष्मण || की बलि चढ़ाने वाले थे, परंतु तत्काल ही रावण के भाई विभीषण अहिरावण का भेद हनुमान जी के समक्ष प्रकट किया। विभीषण की यह बात सुनकर हनुमान जी तुरंत ही श्री राम और लक्ष्मण जी की सहायता करने पाताल लोक पहुंच गए।

मकरध्वज का जन्म (Makardhwaj Ka Janam)

जिस समय हनुमान जी पाताल लोक अहिरावण के द्वार पर प्रकट होते हैं। उसी क्षण हनुमान जी का सामना मकरध्वज से होता है। (Makardhwaj Hanuman Milan) और यह देख हनुमान जी आश्चर्यचकित हो जाते हैं। और उसी क्षण मकरध्वज को अपना परिचय देने को कहते हैं। तत्पश्चात मकरध्वज अपना परिचय देते हुए कहते हैं। कि मैं तो हनुमान जी का पुत्र मकरध्वज हुं। और अहिरावण के पातालपुरी द्वार पर नियुक्त हुं। 

Makardhwaj Story

मकरध्वज का यहं परिचय सुनकर हनुमान जी को असमंजस सा होने लगा। और कहने लगे कि तुम यह किस प्रकार का परिचय दे रहे हो। मैं ही हनुमान हूं, परंतु मैं तो बाल ब्रह्मचारी हूं। फिर भला तुम मेरे पुत्र कैसे हो सकते हो। हनुमान जी का यह परिचय सुनते ही मकरध्वज ने हनुमान जी के चरण स्पर्श कर लिए। तत्पश्चात मकरध्वज ने हनुमान जी के समक्ष मकरध्वज का जन्म (Makardhwaj Ka Janam) अपने जन्म के संबंध में पूरी कथा सुनाई

मकरध्वज ने हनुमान जी के सन्मुख देखते हुए कहा कि जब आप श्री राम का संदेश लेकर माता सीता की खोज में निकले थे और जब आप माता सीता के सन्मुख प्रकट हुए थे तत्पश्चात अशोक वाटिका में आपका और इंद्रजीत के बीच एक युद्ध हुआ था। जिसमें आप को बंदी बनाया गया और आपकी पूछमें कपड़े बांधकर के आग लगा दी गई। जिससे पूरी लंका ही जल गई, और उस समय आप की पूंछ में आग लगने के कारण। आपके पुरे शरीर से पसीना टपकने लगा, तत्पश्चात आप अपनी पूछ की आग बुझाने के लिए एक समुद्र के किनारे पहुंच गए।

हनुमान पुत्र मकरध्वज की कहानी, Hanuman Putra Makardhwaj Ki Kahani

और उसी क्षण आपके शरीर में से टपकने वाला बूंद एक मछली ने मुंह में ले लिया, और इसी कारणवर्ष वह मछली गर्भवती बनी, मकरध्वज का जन्म (Makardhwaj Ka Janam) और उसी के कुछ समय पश्चात रावण के सेनापति अहिरावण के आज्ञानुसार वही मछली पकड़ में आ गई। और जब उस मछली का पेट काटा गया तब उसमें से एक मानव रूपी बच्चा मिला, और उसी मानव रूपी, आपके पुत्र को पातालपुरी का द्वारपाल बना दिया गया

हनुमान जी ने यहं सब सुनने के पश्चात मकरध्वज से कहा कि मेरे प्रभु श्री राम और लक्ष्मण को अहीरावण ने कैद कर रखा है। जिसे मुक्त करने हेतु मुझे नगर में प्रवेश करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। तो वही मकरध्वज ने उत्तर देते हुए कहा कि जिस प्रकार से आप अपने स्वामी की सेवा कर रहे हैं। उसी प्रकार से मैं भी अपने स्वामी की सेवा कर रहा हुं। और मैं प्रतिबद्ध हूं। जिस कारणवर्ष में आपको नगर में प्रवेश करने नहीं दे सकता

हनुमान और मकरध्वज की लड़ाई, Makardhwaj Hanuman Ki Lada

हनुमान जी को श्री राम और लक्ष्मण को किसी भी प्रकार से मुक्त करना था। तब हनुमान जी और मकरध्वज के बीच घमासान युद्ध हुआ। (Makardhwaj Hanuman Ka Yudh) तत्पश्चात हनुमान जी ने मकरध्वज को पुछ से बांधकर नगर में प्रवेश कर गए। और प्रभु श्री राम और लक्ष्मण को मुक्त किया, और मकरध्वज को पाताल पुरी का राजा घोषित किया तो यह था (Makardhwaj Ki Katha) हनुमान जी और मकरध्वज के बीच पुत्र का संबंध

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                               || ॐ ||

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