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श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र, आखिर कहां विलुप्त हुआ

महाभारत काल के समय श्री कृष्ण भागवत के साथ सुदर्शन चक्र का भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। जिसे योगेश्वर श्रीकृष्ण ने समय आने के पश्चात सुदर्शन चक्र का प्रयोग किया। (श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र) के माध्यम से ना केवल पांडवो पर हो रहे अत्याचारों पर पांडवों को बड़ी विजय दिला दी, अभितू अधर्म का नाश करके धर्म को पुनः स्थापित करने का कार्य किया, जिसे कभी भुला नहीं जा सकता, यदि योगेश्वर श्री कृष्ण जी की इच्छा होती तो कुरुक्षेत्र के युद्ध में अपने शक्तिशाली शस्त्र सुदर्शन चक्र का प्रयोग अवश्य करते, परंतु उन्होंने इस पूरे युद्ध में अपने शस्त्र का प्रयोग नहीं किया। वह जानते कि यदि इस युद्ध में अपने शस्त्र का प्रयोग करते तो विरोधियों का सर्वनाश होना निश्चित था।

श्री कृष्ण को सुदर्शन चक्र किसने दिया

कुछ पौराणिक पुराणों के अनुसार सुदर्शन चक्र का निर्माण भगवान विश्वकर्मा द्वारा कराया गया था। और यह भी बताया गया था कि विश्वकर्मा द्वारा सूर्य के तेज के माध्यम से अन्य शास्त्रों का भी निर्माण कराया गया था। जिसमें से सुदर्शन चक्र, पुष्पक विमान, और त्रिशूल भी था। तो वही कुछ अन्य विभिन्न पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सुदर्शन चक्र का निर्माण महादेव शिव शंकर ने किया था। तत्पश्चात भगवान शिव शंकर ने भगवान (श्री हरि विष्णु) को वरदान के स्वरूप सुदर्शन चक्र को सौंपा था।

भगवान श्री हरि विष्णु ने सुदर्शन चक्र को दुष्टों का संहार करने हेतु प्राप्त किया था। तत्पश्चात आवश्यकता पड़ने पर यह सुदर्शन चक्र श्री हरि विष्णु जी ने माता पार्वती जी को सौंपा था। और जब द्वापर युग का समय आने पर यह सुदर्शन चक्र माता पार्वती जी के कृपा से भगवान श्री कृष्ण को प्राप्त हुआ। भागवत पुराण के अनुसार यह सुदर्शन चक्र भगवान श्री कृष्ण के मन की गति से चलने वाला एक सर्वाधिक विध्वनशक शस्त्रों में से एक माना जाता है। इसे श्री कृष्ण द्वारा अधिक क्रोधित होने पर दुष्टोका का संहार करने के लिए किया गया था।

श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र कहां है

परंतु यह सब जानने के पश्चात एक प्रश्न उत्पन्न होता है। कि श्री कृष्ण भगवत के अंत काल के पश्चात सुदर्शन चक्र का क्या हुआ। आखिर कहां विलुप्त हुआ सुदर्शन चक्र, इसका उत्तर हमको भविष्य पुराण में मिलता है। जब श्री कृष्ण जी महाराज ने अपना देह त्याग दिया तब कलयुग के अंत में जब श्री हरि विष्णु। कल्कि अवतार धारण करेंगे तब इसी सुदर्शन चक्र को पुनः प्राप्त करेंगे और धरती को पाप से मुक्त करेंगे

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