हनुमान और रावण - के बीच हुए युद्ध में आखिर क्यों छोड़ा हनुमान ने रावण को, जाने रहस्य

श्रीमद्वाल्मीकी रामायण (Valmiki Ramayana) के अनुसार, रावण और महाबली हनुमान जी (Ravan aur Hanuman ji) के बीच हुआ था प्रलयंकारी युद्ध, शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव ने त्रेता युग में भगवान श्री राम (shri ram) की सहायता करने हेतु हनुमान जी (Hanuman) के रूप में अवतार लिया था। और हनुमान जी को भगवान शिव के 11वा रुद्र अवतारों में से एक सर्वश्रेष्ठ महारुद्र भी कहा जाता है। और इसी महारुद्र अवतार हनुमान जी का और रावण का जब हुआ सामना फिर जो होगा, सब हैरान

रावण और हनुमान जी के बीच हुए युद्ध

श्रीमद्वाल्मीकी रामायण में रावण और हनुमान जी के बीच हुए युद्ध का उल्‍लेख देखनेको मिलता है। कि रावण और हनुमान जी का हुआ था कई बार सामना। रावण ज्ञानी, मायावी और बुद्धिमान भी था। रावण ने कई बडे-बडे योद्धाओं को हराया भी था। इसी के बीच लंकापति रावण का कई बार हनुमान जी से आमना-सामना हुआ भी था। जिसमें एक बार हनुमान जी ने रावण को माता सीता को प्रभु श्री राम जी के पास लौटाने को भी कहा था। परंतु रावण नहीं माना, जिसके चलते रावण की मृत्यु प्रभु श्री राम जी के हाथों हुई थी। और इसका उल्लेख हर रामायण में देखने को मिलता है।

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त्रेता युग का सबसे शक्तिशाली और बुद्धिमान रावन

त्रेता युग का सबसे शक्तिशाली और बुद्धिमान के साथ मायावी भी माना जाता है रावण। रावण भगवान शिव का परम भक्त भी था। जिसके चलते रावण को भगवान शिव द्वारा कई शक्तिशाली वरदान प्राप्त हुए थे। और साथ में परम पिता ब्रह्मा जी से भी वरदान प्राप्त हुए थे। जिसके चलते रावण और भी शक्तिशाली हुआ था। फिर जब माता सीता की खोज में प्रभु श्री राम जी ने हनुमान जी को लंका भेजा, तब हनुमान जी की शक्ति और पराक्रम के संबंध में जानकर रावण आश्चर्यचकित हो गया था।

श्रीमद्वाल्मीकी रामायण में युद्धकाण्ड के सर्ग-59 में उल्लेख

श्रीमद्वाल्मीकी रामायण में युद्धकाण्ड के सर्ग-59 में उल्लेख मिलता है कि हनुमान जी और रावण के बीच हुआ था युद्ध. जब युद्ध में कई बड़े योद्धाओं के मारे जाने के पश्चात स्वयम रावण को युद्ध भूमि में आना पड़ा था। और पहले ही दिन रावण का सामना हनुमान जी से हुआ था। तब रावण का प्रहार वानर सेना पर भारी पड़ता देख, हनुमान जी रावण के रथ के पास पहुंचे और रावण से कहा। ‘हे रावण तुम्‍हें देवता, दानव, गन्धर्व, यक्ष और राक्षसों से न मारे जाने का वरदान प्राप्त है परंतु वानरों से तो तुम्हें भयभीत होना चाहिए

रावण के साथ युद्ध होने से पहले हनुमान जी ने कई बड़े पराक्रमी राक्षसों का वध किया था। जिसमे देवांतक, धुम्राक्ष, त्रिशिरा, अकंपन, निकुंभ आदि प्रमुख थे। हनुमान जी और रावण के बीच भी हुआ था एक प्रलयंकारी युद्ध. हनुमान चाहते तो उसी क्षण रावण का अंत कर सकते थे परंतु रावण की मृत्यु प्रभु श्री राम जी के हाथों लिखी हुई थी। इसलिए हनुमान जी ने रावण को छोड़ दिया

प्रभु श्री राम जी और लक्ष्मण जी पर किसी भी प्रकार का संकट आने पर हनुमान जी हर समय अपने बुद्धि और पराक्रम द्वारा उसे दूर करते थे। वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड में स्वयं भगवान श्रीराम ने अगस्तय मुनि से कहा है। हनुमान जी के पराक्रम और शक्ति के कारण ही रावण पर विजय प्राप्त करने में सहायता हुई थी, अपनी महाशक्तियों के कारण हनुमान जी वह सब कर सकते थे जो किसी और के वश में नहीं था।

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