400 वर्ष तक बर्फ से ढके रहे केदारनाथ मंदिर के रहस्य
दोस्तों क्या आप जानते हैं। प्राचीन समय में बने भारत में कुछ ऐसे मंदिर है. जो अपने रहस्य और चमत्कार के लिए जाने जाते हैं। और साथ में अपनी वास्तुकला के साथ विभिन्न प्रकार की कलाकृतियो के लिए पूरे विश्व भर में प्रचलित है। ऐसे में मंदिरों से इस प्रकार की रहस्य और चमत्कार की बातें सामने आना किसी को भी हैरान कर सकती है। इसमें से कुछ ऐसे मंदिर भी है जिसके संबंध में आपने कभी ना कभीतो सुना और जाना भी होगा. परंतु आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बतलाने जा रहे हैं. जो हुईं थीं वर्तमान समय में चमत्कारिक सच्ची घटना. 

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- आखिर किसने बनवाया था केदारनाथ मंदिर (Kedarnath mandir)
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार केदारनाथ मंदिर (Kedarnath mandir) को पांडवों द्वारा बनवाया गया था। और शास्त्रों के अनुसार इसी रास्ते से पांडव स्वर्ग लोक गए थे, कई वर्षों के पश्चात इस मंदिर का पुनः निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य जी द्वारा बनवाया गया था। और इसी मंदिर के पीछे उन्होंने समाधि ले ली थी, जो आज तक वहां पर उपस्थित है। तत्पश्चात 10वीं से 13वीं शताब्दी में भारत के अनेकों राजाओं द्वारा इस मंदिर का पुनः निर्माण करवाया गया, और जीर्णोद्धार भी हुआ

- केदारनाथ मंदिर कहां स्थित है। और कैसी है वास्तुकला
भारतीय राज्य के देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड (Uttarakhand) और गिरिराज हिमालय (Himalaya) सीमा पर स्थित, केदार नामक चोटी पर स्थित है। देश के 12 द्वादश ज्योतिर्लिंगों (12 Dwadash Jyotirlinga) में से एक केदारनाथ मंदिर, (Kedarnath mandir) यह भगवान शिवलिंग की पूजा विग्रह रूप में की जाती है जो बैल की पीठ जैसे त्रिकोणाकार रूप में केदारनाथ मंदिर को केदारनाथ धाम (kedarnath dham) भी कहा जाता है। मंदिर में मुख्य भाग में मंडप और गर्भगृह के चारों ओर परिक्रमा पथ है। बाहर आंगन में नंदी बैल भगवान शिव (bhagwan shiv) के वाहन के रूप में विराजमान हैं। जिनकी श्रद्धालु पूजा भी करते हैं।

{ इस मंदिर के निर्माण कार्य से जुड़े रोचक बातें यहीं समाप्त नहीं होती अभी आगे और जाने }
जब आप केदारनाथ मंदिर ( kedarnath dham) के समक्ष चारों परिक्रमा करते हैं। तो आप पाएंगे कि यह मंदिर का निर्माण कार्य विशाल चट्टानों के कटवा भूरे रंग के पत्थरों को विशाल शिलाखंड को जोड़कर बनवाया गया है। परंतु आप यह जानकर आश्चर्यचकित हो जाएंगे की, यह जो आप विशाल मंदिर को देख रहे हैं इन मजबूत पत्थरों को जोड़ने के लिए आपस में एक दूसरे को अंग्रेजी में कहा जाए तो इंटरलॉकिंग सिस्टम (Interlocking System) का प्रयोग किया गया है। और इसी प्रकार के टेक्नोलॉजी वाले विशाल काय मंदिरों को आप दक्षिण भारत में बड़ी संख्या में देख सकते हैं। हजारों वर्षों पहले मॉडर्न टेक्नोलॉजी तो नहीं थी, तो फिर बिना किसी टेक्नोलॉजी के इस मंदिर का सटीक तरीके से निर्माण आखिर कैसे किया होगा, 

- केदारनाथ मंदिर (kedarnath dham) का पत्थर
केदारनाथ मंदिर समुंद्र तल से 22,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। अब रोचक बात यह है कि, इन विशाल पत्थर व शीलाखंडों को इतनी ज्यादा ऊंचाई पर किस प्रकार पहुंचाया गया होगा, और साथ में इस मंदिर का किस प्रकार निर्माण किया होगा. यह सोचकर ही दिमाग चकरा जाएगा

- 400 वर्ष तक बर्फ से ढके रहे केदारनाथ मंदिर का रोचक रहस्य और चमत्कार
जियोलॉजिकल वैज्ञानिक विजय जोशी के अनुसार 13वीं से 17वीं शताब्दी तक एक छोटा हिमयुग आने के कारण हिमालय (Himalaya) के बड़े क्षेत्र के अंतर्गत केदारनाथ मंदिर भी 400 वर्ष तक बर्फ से ढका रहा था. वैज्ञानिकों के अनुसार इसके निशान आज भी देखे जा सकते हैं।

- 6 महीने मंदिर बंद और दीपक प्रज्वलित आखिर कैसे रहता है
दीपावली महापर्व के दूसरे दिन शीतलहर शुरू हो जाती है। जिसके कारण केदारनाथ मंदिर (kedarnath mandir) के पुजारी द्वार भक्तों के लिए 6 महीने तक बंद किए जाते हैं। परंतु मंदिर के अंदर निरंतर 6 महीने तक दिया जलता रहता है। पुरोहित ससम्मान पट बंद कर समस्त देवताओं को उमीखट लाया जाता है। वहां उनकी पूजा की जाती हैं। 6 महा समाप्त होने के पश्चात अक्षय तृतीया के दिन केदारनाथ ज्योतिर्लिंग दर्शन के द्वार भक्तों के लिए खोले जाते हैं। जहां ( kedarnath jyotirlinga) केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु लाखों की संख्या में आते हैं। केदारनाथ मंदिर का दृश्य मंदिर की सुरक्षा का भार श्री भैरवनाथ जी ही सँभालते हैं। जो भी भक्तगण केदारनाथ मंदिर के दर्शन करने हेतु यहाँ आते हैं उन्हें पहले श्री भैरवनाथ मंदिर (Bhairavnath Mandir) के दर्शन करना अनिवार्य होता हैं अन्यथा केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Dham) विफल मानी जाती हैं।

16 जून 2013 की रात आई प्रकृति कहर
केदारनाथ मंदिर 2013 की घटना मैं आए जलप्रलय के कारण पानी में बड़ी-बड़ी इमारते बह गयी, परंतु केदारनाथ मंदिर को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं पहुंची, आश्चर्य तो तब हुआ, जब पीछे पहाड़ी से जल प्रवाह के पानी के बहाव में लुढ़कती हुई विशालकाय चट्टान आकर अचानक मंदिर के पिछले भाग में रुक गई, इस चट्टान के रुकते ही जल प्रवाह के पानी का भाग दो हिस्सों में विभक्त हो गया, और मंदिर को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं हुई, और इस चट्टान को भीम शिला कहते हैं। प्रलय में लगभग 10 हजार लोगों की मृत्यु हुई थी। जल प्रलय से पूर्व केदारनाथ धाम का रास्ता 14 किलोमीटर की होती थी वह अब 17 किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पड़ती है।

- भगवान शिव ना चाहते हुए पांडवों को क्या पाप से मुक्त
पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत युद्ध (Mahabharat Yudh) के पश्चात पांडव पर लगे अपने भाइयों और सगे-सम्बन्धियों की हत्या के दोष से मुक्ति दिलाने के हेतु भगवान श्रीकृष्ण (Bhagwan Shri Krishna) ने उन्हें देवाधिदेव भगवान शिव (Deva Di Dev Bhagwan Shiv) से शमा मांगने का सुझाव दिया। परंतु भगवान शिव (Bhagwan Shiv) पांडवों को क्षमा नहीं करना चाहते थे, इसीलिए भगवान शिव ने पांडवों की नजर मैं ना आने के लिए बैल का रूप धारण कर लिया, और पहाड़ियों में विचरने वाले अन्य मवेशियों के बीच छिप गए, परंतु भीम भगवान शिव को पहचान गए. 

यह जानकर भगवान शिव भी किसी अन्य स्थान पर जाने का प्रयास कर रहे थे तभी भीम ने बैल की त्रिकोणीय भाग को पकड़ लिया. पांडवों की दृढ़ शक्ति और संकल्प को देखते हुए भगवान शिव ने अपना मन बदला और पांडवों को दर्शन दिया और पाप से मुक्त भी किया. और यही कारण है कि केदारनाथ मंदिर के अंदर का दर्शन शिवलिंग बैल की पीठ की आकृति के रूप में पूजा कि जाता है। और भगवान शिव के 12 द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से भी एक माना जाता है। (12 Dwadash Jyotirlinga)
बता दें कि जिस स्थान पर पांडव शंकर जी से मिले थे उस स्थान को गुप्त काशी के रूप में जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान शंकर बैल के रूप में अंतरध्यान हुए जब उनके धड़ से ऊपर का भाग काठमांडू (नेपाल) में पाया गया जहां पशुपतिनाथ का मंदिर स्थित है। साथ ही शिव जी की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि मद्महेश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुईं। इसलिए इन चार स्थानों के साथ केदारनाथ धाम को पंचकेदार कहा जाता है।

पुराणों में की गई एक भविष्यवाणी
पुराणों में की गई एक भविष्यवाणी के अनुसार भविष्य में इस संपूर्ण क्षेत्र के तीर्थ लुप्त हो जाएंगे, जिनमे केदारनाथ व बद्रीनाथ धाम प्रमुख हैं। (Kedarnath & Bhadrinath) पुराणों के अनुसार जिस दिन नर और नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे, बद्रीनाथ का मार्ग संपूर्णता से बंद हो जाएगा और भक्त बद्रीनाथ के दर्शन नहीं कर पाएंगे। पुराणों के अनुसार वर्तमान बद्रीनाथ धाम और केदारेश्वर धाम. (Kedarnath Dham) लुप्त हो जाएंगे तत्पश्चात एक नए धाम का उदय होगा जिसे भविष्यबद्री के नाम से जाना जाएगा।

दोस्तों इस मंदिर से जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां:-
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इस वीडियो को अंत तक देखने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद, मिलते हैं एक और वीडियो में

|| जय श्री राम || 

|| हर हर महादेव || || जय बजरंगबली ||

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